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JEEVAN JEENA KA RAHSYA KYA HAI

जीवन जीने का रहस्य अपने आप में ऐसा सवाल है जो इस दुनिया में जीने  वाले हर इंसान से तालुक रखता है। कुछ लोग कहते है की जीवन अतीत की परछाई है । कुछ लोगो के लिए जीवन भविष्य की सोच है। कुछ लोग इसे वर्तमान का रूप कहते है। कुछ इसे सुख और दुख का भाव मानते है । पर आप कोई  भी धरम- जाती के हो , एक बात हर इंसान में देखी गयी है की जीवन का आखिरी सच जीवन का अंत है पर हर इंसान इस बात को अनमने तरीके से यकीन करने से कतराता है ।

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जीवन जीने का रहस्य अपने आप में ऐसा सवाल है जो इस दुनिया में जीने  वाले हर इंसान से तालुक रखता है। कुछ लोग कहते है की जीवन अतीत की परछाई है । कुछ लोगो के लिए जीवन भविष्य की सोच है। कुछ लोग इसे वर्तमान का रूप कहते है। कुछ इसे सुख और दुख का भाव मानते है । पर आप कोई  भी धरम- जाती के हो , एक बात हर इंसान में देखी गयी है की जीवन का आखिरी सच जीवन का अंत है पर हर इंसान इस बात को अनमने तरीके से यकीन करने से कतराता है ।

जीवन की उलझन में ही जीवन ख़तम हुआ चला जाता है। अनुभव कहता है की हम दूसरे को धोखा दे कर , झूठ बोल कर , अपना मान दूसरे को नीचे दिखा कर मिले तो जीवन में हमने बहुत तरक्की की है । पर वास्तव में यही सब बाते हमें अंत  ये सोचने पर विवश कर देती है की मैंने किसी का क्या बिगाड़ा जो मेरे साथ बुरा  हुआ है। कभी कभी ेऐसा भी लगता है की आज का दिन , बिता हुआ दिन बड़ा ही मजे में गया बहुत ही अच्छा गया , जब की मैंने कुछ किया ही नहीं । पर ऐसा नहीं हैI

जीवन एक अकाउंट की तरह है । अकाउंट में २ तरह की बात होती है । एक नफा- नुक्सान और दूसरा लेन- देन । नफा नुक्सान रोज के किए हुए कर्म होते है । और नफा नुक्सान का मापदंड माप कर ये देखा जाता है की क्या हमारा अपना है और कितना हमें दुसरो को देना है । जीवन भी वर्तमान के कर्म के रूप में है। अच्छे कर्म नफा और बुरे कर्म नुक्सान के रूप में होते है । और जीवन के अंत में ये देखा जाता है की क्या हमने पाया और क्या खोया।

जीवन वो वर्तमान है जो इतिहास के गर्भ से बाहर आता है । जीवन समाज को परिभाषित करता है। वो समाज और उसका सामाजिक मूल्य व्यर्थ है जो अपने इतिहास और इतिहास के जीवन मूल्य से कुछ नहीं सीखा या उसे बेकार कर दिया । समाज तो जीवन का एक वस्त्र है

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Weight .199 kg
Dimensions 18 × 14 × 1 cm
Author Name

CMA.VIPIN KAILASHNATH MISHRA

Author

CMA.VIPIN KAILASHNATH MISHRA

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