135 करोड़ की विशाल जनसंख्या से युक्त भारत, विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, संप्रदायों से समृद्ध बहुरंगी समाज एवं संस्कृति का वैश्विक समाज में विशिष्ट स्थान है । कश्मीर से कन्याकुमारी एवं गुजरात से बंगाल तक का विस्तृत भू-भाग वसुधैव कुटुंबकम भाव का अनुकरण सदियों से करता रहा है। वेशभूषा, परंपरा, मान्यता, जाति, भाषा एवं भौगोलिक स्थिति में विषमता के बावजूद भावनात्मक रूप से हम सब एक हैं। राष्ट्रीय एकता यहां की अमूल्य निधि है। जो राष्ट्र की प्राण वाहिनी बनकर समस्त भारतवासियों में संचारित हो रही है । इसके बाद भी कतिपय लोगों के संकीर्ण विचार, तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ, अज्ञानता उन्हें समाज के संवेदनशील मर्मस्थल को दूषित कर विग्रह, संघर्ष और ध्वंस की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं
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Bhartiya Sanskrti me Rashtrya Tatav
135 करोड़ की विशाल जनसंख्या से युक्त भारत, विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, संप्रदायों से समृद्ध बहुरंगी समाज एवं संस्कृति का वैश्विक समाज में विशिष्ट स्थान है । कश्मीर से कन्याकुमारी एवं गुजरात से बंगाल तक का विस्तृत भू-भाग वसुधैव कुटुंबकम भाव का अनुकरण सदियों से करता रहा है। वेशभूषा, परंपरा, मान्यता, जाति, भाषा एवं भौगोलिक स्थिति में विषमता के बावजूद भावनात्मक रूप से हम सब एक हैं। राष्ट्रीय एकता यहां की अमूल्य निधि है। जो राष्ट्र की प्राण वाहिनी बनकर समस्त भारतवासियों में संचारित हो रही है । इसके बाद भी कतिपय लोगों के संकीर्ण विचार, तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ, अज्ञानता उन्हें समाज के संवेदनशील मर्मस्थल को दूषित कर विग्रह, संघर्ष और ध्वंस की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं
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