‘धर्म का मुख्य उद्देश्य है, देश और जगत की उन्नति करना। मानव समुदाय में पारस्परिक प्रीति की भावना का उद्वेग पैदा करना,
विद्या का आलोक पुंज जलाकर अज्ञानता को दूर करना। केवल परमात्मा में विश्वास रखना और उसकी उपासना में जीवन बीता देना धर्म नहीं है। धर्म का अर्थ सदाचार का जीवन व्यतीत करना, अर्थ, काम और मोक्ष के उद्देश्यों की प्राप्ति करना है। उत्तम आचरण से ही सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसी का नाम धर्म है।‘
महर्षि दयानन्द सरस्वती
Muktipath – bihaar kee prakaash yaatra HB
‘धर्म का मुख्य उद्देश्य है, देश और जगत की उन्नति करना। मानव समुदाय में पारस्परिक प्रीति की भावना का उद्वेग पैदा करना,
विद्या का आलोक पुंज जलाकर अज्ञानता को दूर करना। केवल परमात्मा में विश्वास रखना और उसकी उपासना में जीवन बीता देना धर्म नहीं है। धर्म का अर्थ सदाचार का जीवन व्यतीत करना, अर्थ, काम और मोक्ष के उद्देश्यों की प्राप्ति करना है। उत्तम आचरण से ही सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसी का नाम धर्म है।‘
महर्षि दयानन्द सरस्वती
Author Name | Dr Brijmohan |
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Author |
DR. Brijmohan |
Publisher |
Namya press |
Series |
Hardcover |
Editorial Review
‘धर्म का मुख्य उद्देश्य है, देश और जगत की उन्नति करना। मानव समुदाय में पारस्परिक प्रीति की भावना का उद्वेग पैदा करना,
विद्या का आलोक पुंज जलाकर अज्ञानता को दूर करना। केवल परमात्मा में विश्वास रखना और उसकी उपासना में जीवन बीता देना धर्म नहीं है। धर्म का अर्थ सदाचार का जीवन व्यतीत करना, अर्थ, काम और मोक्ष के उद्देश्यों की प्राप्ति करना है। उत्तम आचरण से ही सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसी का नाम धर्म है।‘
महर्षि दयानन्द सरस्वती
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