भारत भूमि में जन्म लेने वाला और यहां के परिवेश में पला बढ़ा हर मनुष्य यहां के तीर्थ स्थलों, शक्तिपीठों, ज्योतिर्लिंगों, और चारों दिशाओं के चार धामों के दर्शन की चाह रखता है। इसी चाहत की पूर्ति हेतु मैंने अपने परिवार के साथ गुरु जी के नेतृत्व में 16 जून 2023 से 29 जून 2023 तक उत्तराखंड के चारों धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ ,बद्रीनाथ
की यात्रा की तथा दर्शनों का लाभ प्राप्त किया। इस यात्रा में हरिद्वार, ऋषिकेश, वृंदावन की परिक्रमा एवं परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले लगभग सभी मंदिरों के दर्शन भी शामिल हैं।
यह यात्रा मेरे लिए बहुत ही तन मन को आल्हादित करने वाली ,अद्भुत ,अविस्मरणीय तथा सुकून भरी यात्रा थी। इस यात्रा के बाद ऐसा लगने लगा मानो अब जीवन में कुछ पाने के लिए शेष ही नहीं है। वहां पहुंचकर मैंने हर दिन लोगों की आस्था , विश्वास ,धर्म ,संस्कृति,आचार -विचार के बारे में जाना, बहुत कुछ देखा, सीखा और समझा ।उत्तराखंड तीर्थ यात्रा से लौटकर मेरा मन हर दिन विचारों के सागर में गोते लगाता, वहां के दृश्य सदैव मेरी आंखों के सामने होते , मेरे द्वारा मन में उठे जिज्ञासा भरे प्रश्न और उनके उत्तर ढूंढने की कोशिश होती कभी धार्मिक ग्रंथों में और कभी इतिहास के पन्नों में , इस तरह कोशिशें बढ़ती रही और तथ्यों का संग्रह इतिहास के धरातल पर होता रहा । इस 14 दिवसीय यात्रा में जो कुछ देखा समझा और अनुभव किया उसे संस्मरणात्मक रूप में लेख बद्ध करना ही इस कृति की जीवन यात्रा है जो उत्तराखंड तीर्थ यात्रा संस्मरण और इतिहास के नए रूप में आपके सामने है।
उत्तराखण्ड की तीर्थयात्रा: संस्मरण और इतिहास
भारत भूमि में जन्म लेने वाला और यहां के परिवेश में पला बढ़ा हर मनुष्य यहां के तीर्थ स्थलों, शक्तिपीठों, ज्योतिर्लिंगों, और चारों दिशाओं के चार धामों के दर्शन की चाह रखता है। इसी चाहत की पूर्ति हेतु मैंने अपने परिवार के साथ गुरु जी के नेतृत्व में 16 जून 2023 से 29 जून 2023 तक उत्तराखंड के चारों धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ ,बद्रीनाथ
की यात्रा की तथा दर्शनों का लाभ प्राप्त किया। इस यात्रा में हरिद्वार, ऋषिकेश, वृंदावन की परिक्रमा एवं परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले लगभग सभी मंदिरों के दर्शन भी शामिल हैं।
यह यात्रा मेरे लिए बहुत ही तन मन को आल्हादित करने वाली ,अद्भुत ,अविस्मरणीय तथा सुकून भरी यात्रा थी। इस यात्रा के बाद ऐसा लगने लगा मानो अब जीवन में कुछ पाने के लिए शेष ही नहीं है। वहां पहुंचकर मैंने हर दिन लोगों की आस्था , विश्वास ,धर्म ,संस्कृति,आचार -विचार के बारे में जाना, बहुत कुछ देखा, सीखा और समझा ।उत्तराखंड तीर्थ यात्रा से लौटकर मेरा मन हर दिन विचारों के सागर में गोते लगाता, वहां के दृश्य सदैव मेरी आंखों के सामने होते , मेरे द्वारा मन में उठे जिज्ञासा भरे प्रश्न और उनके उत्तर ढूंढने की कोशिश होती कभी धार्मिक ग्रंथों में और कभी इतिहास के पन्नों में , इस तरह कोशिशें बढ़ती रही और तथ्यों का संग्रह इतिहास के धरातल पर होता रहा । इस 14 दिवसीय यात्रा में जो कुछ देखा समझा और अनुभव किया उसे संस्मरणात्मक रूप में लेख बद्ध करना ही इस कृति की जीवन यात्रा है जो उत्तराखंड तीर्थ यात्रा संस्मरण और इतिहास के नए रूप में आपके सामने है।
Weight | 0.300 kg |
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Dimensions | 22 × 15 × 2 cm |
Author |
Dr. Madhubala Kulsrestha |
Publisher |
Namya press |
Series |
Paperback |
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