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Bhavishyadrashta kee drshti mein jyotirmaalee kee bhavishyavaaniya – bhavishyavaaniyo ka sangrah kaal san 1980 – 2029 tak

भविष्य जानने की इच्छा प्राय:  हर मनुष्य को होती है।मनुष्य की जिज्ञासा के गर्भ से ही सम्भवत: ज्योतिष विद्दा का जन्म हुआ होगा। ज्योतिष शास्त्र हजारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों द्वारा बनाया गया था। वैसे इसकी उपयोगिता भी सिद्ध हो चुकी है। ज्योतिष का ज्ञान परम पवित्र, रहस्यमय और सभी वेदांगों में श्रेष्ठ कहा गया है। इस शास्त्र को वेदों का चक्षु कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ पं. भास्कराचार्य ने कहा था- शब्द शास्त्र वेद भगवान का मुख है। ज्योतिष शास्त्र आंख है। निरुक्त कान है, कला हाथ है, शिक्षा नाक है, छन्द पांव है। अत: जिस तरह सभी अंगों में आंख श्रेष्ठ होती है उसीप्रकार सभी वेदों में ज्योतिष शास्त्र श्रेष्ठ है।

 

 

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भविष्य जानने की इच्छा प्राय:  हर मनुष्य को होती है।मनुष्य की जिज्ञासा के गर्भ से ही सम्भवत: ज्योतिष विद्दा का जन्म हुआ होगा। ज्योतिष शास्त्र हजारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों द्वारा बनाया गया था। वैसे इसकी उपयोगिता भी सिद्ध हो चुकी है। ज्योतिष का ज्ञान परम पवित्र, रहस्यमय और सभी वेदांगों में श्रेष्ठ कहा गया है। इस शास्त्र को वेदों का चक्षु कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ पं. भास्कराचार्य ने कहा था- शब्द शास्त्र वेद भगवान का मुख है। ज्योतिष शास्त्र आंख है। निरुक्त कान है, कला हाथ है, शिक्षा नाक है, छन्द पांव है। अत: जिस तरह सभी अंगों में आंख श्रेष्ठ होती है उसीप्रकार सभी वेदों में ज्योतिष शास्त्र श्रेष्ठ है।